Menu
blogid : 18820 postid : 1211985

ग़ज़ल : तुम

hamaradesh-hamaradard
hamaradesh-hamaradard
  • 104 Posts
  • 64 Comments

यूँ      दूर   खड़ी   रहके  मुस्कराया    न  करो

कभी    तो   पास आके प्यार जताया भी करो

दूर   दूर  वाली  ये  कैसी  मोहब्बत  है     तेरी

सिर्फ   अपनी    नहीं  जरूरत    समझो   मेरी

कैसे   मैं   इंतज़ार करता रहूँ   और  कब तक

मैं    अरमानों  और ख्वाबों को रोकूँ कब तक

करती   हो   मुझसे प्यार   ये  बात मानता हूँ

गुज़र    जाओगी  तुम   किसी   भी   हद    से

मेरे    लिए…………    ये     भी   जानता     हूँ

इंतज़ार    अब  होता  नहीं  दिल न पाता चैन

कब  तुम मुझसे आ मिलो मिले नैन से  नैन

मेरे   जज़्बातों   को …………  समझने    की

ज़रा   दिल    से      भी     कोशिश     करना

जिस तरह भी हो सके आके मुझसे  मिलना

तुम्हारा..अपना

(समाप्त}

vvvvvvvvv

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh