Menu
blogid : 18820 postid : 1134973

कविता हाइकू : बचपन और कागजी नाँव

hamaradesh-hamaradard
hamaradesh-hamaradard
  • 104 Posts
  • 64 Comments

कविता का परिचय

यह कविता हायकू की विधा में है.. इसमें एक लाइन में पाँच  …

दूसरी  लाइन में सात अक्षर ..और इसी प्रकार पाँच और सात..  

अक्षर के क्रम में कविता चलती रहती है  ..

प्रस्तुत कविता बचपन की   यादों पर आधारित  है  जब पानी

बरसने पर हम कागज़ की  नाँव बनाते ..तैराते  और बहुत खुश

होते थे…..

कविता : बचपन और कागज़ी नाँव


तैराते  हम

बना कागजी नाँव

बरसे   मेघ

रिमझिम जोर से                                                                                              

भरती नाली

उफनती वेग से

नावें हमारी

कुछ दूर चलतीं

फिर उलट

पलट कर डूब

जातीं जल में

हम देखें हो खुश

किसकी नाँव

डूबी किसकी तैरी

हार जीत का

फैसला था नाँव पे

जीत हार में

बिताया बचपन

कागजी नाँव

देती  मज़ा जीत का

खुशियों  भरी

या कड़ुई हार का

कोई बात थी

जो अब तक याद

कागज़ी नाँव

डूबती उतराती

तैरती यादें


(समाप्त)

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh