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परिचय कविता से
पिरामिड़ी कविता …. कविता की यह एक नयी विधा है.. इसमें पहिली लाइन एक अक्षर …..दूसरी लाइन दो अक्षर
तीसरी लाइन तीन अक्षर .. इस प्रकार करते करते.. सातवी लाइन में सात अक्षर के साथ में कविता समाप्त होती है
.. यानि कि सात लाइन का एक पिरामिड….. अब कभी कभी पिरामिड की श्रंखला का भी चलन चल गया है……
जैसे आप इस कविता में देखेंगे
कविता : तू हरजाई ..
मैं
हुई
अकेली
बेसहारा
तूने किया जो
किनारा बेदर्दी
तड़पा मेरा मन
ओ
पिया
सुनना
मेरी चीख
जो निकली है
मेरे दुखी मन
घायल आत्मा से
तू
तो न
था ऐसा
बेरहम
तोड़ा प्यार
मेरा पूरा जहाँ
लूट गया बेदर्दी
मैं
जियूँ
या मरुँ
तुझे क्या
तूने तो लूटा
मेरा तन मन
ओ बेदर्दी बलम
मैं
तुझे
यूँ याद
करती हूँ
और रोती हूँ
जैसे उजड़ा हो
मन का उपवन
तू
वहाँ
खुश है
सँग उस
सौतन के ही
दिल तोड़ कर
कैसी पीर दी मुझे
मैं
तुझे
न कोस
सकती हूँ
न सराप ही
तू लगे प्यारा
आज भी बलम जी
मैं
क्या
करूँ जो
पाऊँ तुम्हें
दोबारा फिर
ओ मेरे बलम
बोल न हरजाई
मैं
न तो
मरती
और न ही
जीती हूँ यहाँ
जख्मी जिगर से
जार जार रोती हूँ
मैं हूँ तेरी अभागी….
मित्र का कमेंट …
ब॒हुत मजेदार है तुम्हारी हरजाई
(समाप्त)
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