- 104 Posts
- 64 Comments
हमारा देश भारत भी कहलाता है
इंडिया भी और हिंदुस्तान भी
सुविधा अनुसार हम इसे अपने
पसंद के नाम से बुलाते हैं तीनो
ही नाम सही हैं हम घर किसी को
चुन्नू मुन्नू या लवी बुलाते हैं पर
स्कूल में उसका अलग नाम होता
है कभी कभी उसी का कोई तीसरा
नाम भी होता है हमारे देश का नाम
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में इंडिया है और
सभी विदेशी हमें इंडियन के नाम
से जानते और मानते हैं यहाँ के
रहनेवाले सभी लोग चाहे वे किसी
भी धर्म जाति या प्रदेश के हो
इंडियन के नाम से जाने जाते है
पर अन्य दोनों नाम भी उतने ही
लोकप्रिय और चलन में है हम
भारतीय कहलाना भी पसंद करते
हैं और हिंदुस्तानी भी
जब अन्य सभी देशो में उनके लोग
धर्म भाषा भिन्न भिन्न होने के
बावजूद देश के नाम से जाने जाते
है जैसे चीन में चीनी रूस में रूसी
ब्रिटेन में ब्रिटिश अमेरिका में
अमेरिकी तो अगर हमारे लोग
इंडियन या भारतीय या हिंदुस्तानी
कहकर बुलाये जाते हैं तो क्या
आपत्ति हो सकती है हमारे देश के
इतिहास को जानने वाले ये
जानते है इस देश में विदेशी
आक्रमणकारी जातियाँ यथा आर्य
हूडं कुषाण मंगोल तुर्क आये इसे
लूटा पर इसे अपना घर बना यहीं
बस गये धीरे धीरे ये सब आपस में
मिलते गये और क्योकि अरब
लोग इस देश के सभी रहने वालों
को हिन्दू कहते थे इस देश को
हिंदुस्तान बुलाने लगे पर बाद में
आनेवाले सभी आक्रमणकारी इस
तथ्य को पहिचान गये कि यदि
शीघ्र कुछ न किया गया तो हमारी
पहिचान भी ख़त्म हो जाएगी
इसीलिए उन्होंने अपनी अलग
पहिचान बनाये रखने के लिये
अपनी अलग भाषा पहिचान
वेशभूषा विकसित की इस्लाम व्
क्रिश्चियन धर्म इसके उदाहरण हैं
हम सब जानते है कि वेश भूषा
खानपान भाषा जलवायु स्थानीय
संसाधनों पर निर्भर होती है इसमें
जाति या धर्म या मान्यता की कोई
भूमिका नहीं होती यथा केरल का
रहन सहन कश्मीर से बिलकुल
अलग है बंगाल और तमिलनाडु
भी पूरी तरह भिन्न हैं इसी प्रकार
अन्य लोग भी एक दूसरे से पूरी
तरह भिन्न है पर आश्चर्य और
सुखद बात यह है कि हम सब एक
महान देश के अंग है जो तमाम
विविधताओं के बावजूद एक
महान जनतंत्र के रूप में खड़ा है
और हम अपने आपको भारतीय
हिंदुस्तानी या इंडियन कहलाने
में गर्व महसूस करते हैं हमारी
संसद हमारे कानून हमारे तिरंगे
व् देशवासियों पर हमें नाज़ है जो
पूरे विश्व में अपनी योग्यता
हिम्मत और मेहनत का लोहा
मनवा रहे हैं पर गेहूं में घुन की
तरह और मकान में दीमक की
तरह यहाँ कुछ ऐसे भी लोग या
संस्थायें भी हैं जो निहित स्वार्थ
वश इस देश का जानबूझ कर
अहित करते हैं और देश के लोगों
को धर्म भाषा छेत्र याअगड़े पिछड़े
य़ा लिंग के नाम पर लडाना और
अस्थिर करना चाहते हैं हमारे
पडोसी देश भी इस मुहीम में उन्हें
परोक्ष अपरोक्ष सहायता करते हैं
यह वर्ग इस देश की भलाई नहीं
चाहता खुशहाली नहीं चाहता
अतः लड़ाई अलगाववाद को
बढ़ावा और समर्थन देता है और
हमें आपस में लडवा वो किसी
प्रकार सत्ता में बने रहना चाहता
है कभी कभी यह वो देश की
अखंडता और भाई चारा की कीमत
पर भी करता है अभी पिछले
दिनों किसी ने फ़रमाया इस देश
के रहने वाले सभी हिन्दू हैं
और तुरंत दूसरों ने विवाद शुरू कर
दिया क्या हम नहीं जानते यह
सब हरकतें जानबूझ कर देश के
भाई चारा और सौहार्द बिगड़ने के
लिए की जाती है कि छुद्र
राजनीतिक लाभ लिए जा सकें
चाहे वो देश की कीमत पर क्यों
न हो ऐसे सभी व्यक्तियों समूहों
व् संस्थाओं से सावधान रहने और
उन्हें नियंत्रण में रखने की आज
बड़ी आवश्यकता है और केवल
जागृत देश भक्त जनता ही यह कर
सकती है
Read Comments