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सीखो
उन्मुक्त व्यवहार
हवाओं से
सीखो
करना अथाह प्यार
मातृ ह्रदय से
सीखो
सिर्फ देना ही देना
पौधों से पेंड़ों से
सीखो
बदलता व्यवहार
मौसम से
यदि सीखने की चाह है
तो हम सीख सकते हैं
धरती से जो सब सहती है
और अम्बर से भी
जो सबको अपने अन्दर
समाता है सबकी रक्षा करता है
और ईश्वर से भी
जो सबका दाता है
हमारा भाग्य विधाता है
सीखो और व्यवहार में लाओ
वो सब जो तुमने सीखा है
वोह निर्दोष मुस्कराना
उन्मुक्त व्यवहार
मातृ ह्रदय सा प्यार
देना ही देना
और पाने की चाहत न होना
बदलता व्यवहार
बनो धरती सा उदार
अम्बर से बड़ा दिलवाला
ये सब हो सकता है यदि
तुम अपना नजरिया
दुनिया के प्रति बदलो
दुनिया को जीने के लायक बनाओ
दुनिया को जीने के लायक बनाओ
ताकि उस ईश्वर को भी
और वोह फ़ख्र से कह सके कि
उसका बनाया मानव
सर्व गुण संपन्न
उसकी श्रेष्ठ रचना है
श्रेष्ठ रचना है
श्रेष्ठ रचना है
(समाप्त)
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