अभी कुछ ही दिन पहिले दो प्रमुख घटनाएं हुयीं ..हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति.. भारत रत्न.. महान वैज्ञानिक ..श्री कलाम का असामयिक दुखद निधन और जाने माने आतंकवादी की तमाम दया याचिकाओं पर विचार और अंततः फाँसी .. इन दोनों हुई घटनाओं में मीडिया की भूमिका और कार्यशैली विवादों के घेरे में है जहाँ उनके सक्षम कवरेज ने लोगों को भूत पूर्व राष्ट्रपति के निधन उनके अंतिम दर्शन और उनके अंतिम संस्कार की पल पल कीजानकारी दीऔर लोगों का मार्गदर्शन किया और प्रसंशा पायी .. वहीँ दूसरी ओरअन्य मामले में इन्ही पल पल की जानकारियों ने देश में भ्रम चिंता और सांप्रदायिक माहौल को ख़राब करने में अपनी अहम् भूमिका निभाई जो न केवल अनावश्यक थी बल्कि राष्ट्र के हितों के विर्रुद्ध थी नतीजतन हमारी न्याय पालिका पर अनावश्यक आक्षेप लगाये गए और पक्षपात का भी आरोप लगा डाला गया जबकि भारत सरकार और न्यायपालिका ने अभूत पूर्व कार्य करते हुए इतिहास में पहिली बार सारी रात दया याचिका सुनी और निर्णीत की और न्याय देने के सभी प्रयत्न किये
हम सब जानते हैं कि मीडिया प्रजातंत्र का मजबूत स्तम्भ है और उसकी भूमिका को नाकारा नहीं जा सकता और उस पर प्रतिबन्ध तो प्रजातंत्र का अंत ही होता है पर मीडिया को भी देश के प्रति ईमान दरी निष्ठां औरत कर्तव्य का निर्वाह करते हुए सदा सजग रहना चाहिए कि क्या उसके किसी कार्य से देश के हितों की अनदेखी या अहित तो नहीं हो रही ..उसे हमेशा सजग जागरूक और जिम्मेदार रहना चाहिए यह बात दुखद है यहीं पर मीडिया अपने कर्तव्य से चूक गयी आशा की जानी चाहिए कि भविष्य में वो अधिक सार्थक .. सटीक .. और विवेकपूर्ण भूमिका निभाएगी
(समाप्त)
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