कविता :मृत शरीर और दुनिया hamaradesh-hamaradard In our desh we have lot of dard as common people and we all suffer, this blog is for all my countrymen of this great country my desh India or Bharat such as BRASHTACHAR MAHGAI DELAY AND DENIAL OF JUSTICE ETC ETC घर में पास पड़ोस व् रिश्ते की महिलाएँ
कैसे हुवा .. कब हुवा
कल तक तो अच्छे खांसे थे
भाई साहब तो काफी एक्टिव थे
किसी नए के आने से
रुलाई फूट पड़ती थी
वरना गप शप
मुर्दा पड़ा है शाँत चुप चाप
धर्मपत्नी बेहोश.
कभी होश आता है
तो चीखती है फिर बेसुध बेहाल
इनकी लडकियाँ अभी तक नहीं आ पायीं
दूर का मामला है
शायद शाम तक आएं
तब तक इंतज़ार करेंगें
लोग भी फुर्सत में
चलो आज का आफिस बचा
भीड़ धीरे धीरे छटने लगती है
अब घर पर है
केवल ……. मृत शरीर
एक अधेड़ बेसुध पत्नी
एक नौकरानी और एक आध अन्य
सभी चले गए
नौकरानी है जो पूरी
तन्मयता से भागदौड़ कर रही है
मालकिन को पानी पिलाती है
ढांढस देती है
धीरे धीरे रिश्तेदार आने लगते हैं
रुदन का सिलसिला जारी है
बर्फ का इंतजाम करो
गर्मी में लाश सड़ जाएगी
हाँ भाई खबर मिल गयी हैं
वे हवाई जहाज से आ रहें है
शाम तक पहुंचेंगे
पर तब तक
लाश को सँभाल कर रखना होगा
आखिर उनकी लड़कियों को उत्तर भी तो देना होगा
धीरे धीरे समय बीत रहा है धूप सर पर चढ़ आई है अधेड़ पत्नी का रो रोकर बुरा हाल है
बेचारी रो रो कर
बेहोश हो जाती है
ऑफिस के लोग आते हैं
हाँथ जोड़ देते हैं
बाहर जाकर एक दूसरे से चर्चा करते हैं
कब तक उठेगी
शाम सुन कर सुकून की साँस लेते हैं
चलो आज की हाज़िरी बची
चन्द होशियार लोग
जो मिटटी के नाम पर आये थे
टेलिफोन या बिजली का
बिल भरने की सोंचने लगते है
चन्द अपने अन्य काम
निपटाने की सोचने लगते हैं
समय धीरे धीरे बीत रहा है
घर में चन्द रिश्तेदार दोस्त
धीरे धीरे आपस में बतियाते
जो नहीं है उसकी चमड़ी उधेड़ते
बर्फ आ चुकी है
एक बार फिर हल चल
बर्फ की सिलें लगाई जातीं है
मृतक देंह उठा कर लिटाई जाती है
तैयारियाँ चल रहीं हैं
पंडित बुलाने की
डेथ सर्टीफिकेट बनवाने की
घाट पर ले जाने का जुगाड़
फैक्ट्री का ट्रक
कुछ नेता लोग उसके भी जुगाड़ में हैं
साहेब अच्छे आदमी थे
बात व्योहार बहुत अच्छा था
ऐसा भी बतियातें हैं
ये साले जी एम ने साहब की जान ले ली
वर्ना कुछ वर्ष और जी जाते
साला बड़ा हरामी है
पर खैर लाश पड़ी थी
चुपचाप बातें जारी हैं
जारी रहेंगी लड़कियों के आने तक
फिर होगा उग्र क्रंदन
माँ बेटियाँ चिपट के रोयेगीं
पिता को देख भर भर आएँगी उनकी आँखें
हाँ दामादों के भी आँसू बह रहे होंगे
पर उनके नन्हे मुन्ने अवाक् से
कभी मम्मी कभी पापा को देखते होंगे
“मम्मी नाना को क्या हो गया “
ये लेटे क्यों हैं
हमें प्यार क्यों नहीं करते
इन नन्हे मुन्नों के प्रश्नो का जवाब
आसान होते हुए भी बड़ा कठिन है
“तुम्हारे नाना जी भगवान को प्यारे हो गए “
ये भगवान को प्यारा क्या होता है
“चुप रहो” बड़े होगे तो जान जाओगे
लड़कियाँ डाटती हैं
चुप होते हैं बच्चे
उनका नाना चुपचाप सोया है
और नानी भी बेसुध बेहोश है
समय धीरे धीरे बीत रहा है
(समाप्त)
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