Menu
blogid : 18820 postid : 839231

कविता : साँप और केचुवे

hamaradesh-hamaradard
hamaradesh-hamaradard
  • 104 Posts
  • 64 Comments

कुछ लोग केंचुवे को भी

साँप समझ

मार डालते हैं

और कुछ

साँप को भी

केंचुवा समझ

उससे खेलते रहते हैं

उनका मखौल उड़ाते हैं

बचपन में सभी

केंचवे और साँप

दीखते हैं एक सदृश

निरीह. …… … लावारिस

एक जगह

पड़े पड़े निर्जीव से

पर ज़रा सी

हरकत आहट से

केंचुवे हिलते हैं

आगे … पीछे

रेंगने की कोशिश करते

वहीँ साँप

हिलते हैं दायें बायें

बिजली सी तेज़ी

बला सी रंगत के साथ

तुरंत साँप

और केंचुवै का भेद

समझ में आ जाता है

अतः ठीक से

पहिचानने की ज़रुरत है

सांप और केंचुवे में

भेद करने की ज़रुरत है ……

कहीं ऐसा न हो

कि आप जिसे

केंचुवा समझ कर

मनमानी कर रहें हैं.……

सता रहे हैं …

वोह साँप निकलें

आपको डँस ले और

आपके जीवन

खतरे में पड जाये

वहीँ जिसे आप

साँप … समझ के

पाल रहें हैं

दूध पिला रहें हैं

वोह तथाकथित साँप

आपके काम के

समय निकले

निरा ………… केंचुवा

और आपकी सारी आशाएं

धूल धूसरित कर दे

अतः साँप और केंचुवा

यद्द्यपि दीखते हैं सदृश

उनकी सीरत

अलग अलग होती है

सूरतें एक सरीखी

होने से क्या होता है…. ?

साँप और केंचुवे

दोनों ही है संसार में

बिखरे …फैले

पूरे वातावरण को घेरे

अतः आप अपनी

निगाह साफ रखो

पहिचान के बाद वापरो

धोखा मत खा जाना

और केंचुवे के धोखे में

साँप से मत भिड़ जाना

साँप से मत भिड़ जाना

साँप से मत भिड़ जाना

(समाप्त)

अखिलेश चन्द्र श्रीवास्तव

403 ए , सनफ्लावर ,रहेजा काम्प्लेक्स

पत्रिपुल के पास , कल्याण (पश्चिम)

जिला ठाणे ,महाराष्ट्र -421301

मोबाईल : 09321497415

विशेष नोट : यद्द्यपि केंचुवे और साँप

दीखते समान हैं जब वे बच्चे होते हैं

पर उनके गुण दोष अलग अलग होते हैं

अतः उनके साथ व्यवहार करते हुवे

विशेष सावधानी की जरूरत है

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh